
Recent Reviews by Upma Singh
Navbharat Times

Upma Singh is a journalist with 17 years of experience in the field of entertainment and feature journalism. She has worked with Amar Ujala and Dainik Bhaskar , leading national hindi newspapers before joining Navbharat Times. She is an assistant editor at Navbharat Times, Mumbai.
Films reviewed on this Page
Zindaginama

मेंटल हेल्थ हमारे समाज में लंबे समय तक एक टैबू रहा है। हालांकि, अब कुछ साल से इसके बारे में खुलकर बातें होने लगी हैं। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) पर आई एंथॉलजी सीरीज ‘ज़िंदगीनामा’ इसी मेंटल हेल्थ के प्रति जागरूकता की ओर एक मजबूत कदम है। यह सीरीज 35-40 मिनट की छह कहानियों का गुलदस्ता है, जो ईटिंग डिसऑर्डर, गेमिंग एडिक्शन, सिजोफ्रेनिया, ओसीडी, पीटीएसडी, जेंडर डिस्फोरिया जैसी अलग-अलग मानसिक समस्याओं के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करती है।
All 2 reviews of Zindaginama here
Raat Jawaan Hai

आम सी कहावत है कि मां-बाप बनने के बाद आपकी अपनी जिंदगी, अपनी खुशी बेमाने हो जाती है। तब बच्चा, उसकी जरूरतें, उसकी खुशियां ही सबसे ऊपर होती हैं। काफी हद तक होता भी ऐसा ही है, पर पैरंटिंग के नए मायने समझाने वाली वेब सीरीज रात जवान है आपसे कहती है कि नहीं बॉस, एक अच्छा पैरंट बनने के लिए अपनी खुशियों की कुर्बानी देना जरूरी नहीं है। थोड़ी मशक्कत जरूर करनी पड़ेगी, मगर आप अपने करियर, खुशियों, बच्चों सबको साथ लेकर भी चल सकते हैं। खास बात यह है कि ख्याति आनंद पुथरन की लिखी और सुमित व्यास (परमानेंट रूममेट्स, ट्रिपलिंग) निर्देशित यह प्यारी सी फील गुड कहानी ये बड़ी-बड़ी बातें बिना किसी लेक्चरबाजी के मजे-मजे में कह जाती है।
All 5 reviews of Raat Jawaan Hai here
CTRL

मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया आज हमारी जिंदगी का एक बड़ा और अहम हिस्सा बन चुका है। हममें से कई की जिंदगी तो इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। उस पर, अब ज्यादा एडवांस तकनीक AI भी दस्तक दे चुका है, जिसके फायदे-नुकसान को लेकर खूब हलचल मची हुई है। लेकिन क्या इन नई और एडवांस तकनीक का इस्तेमाल हम कर रहे हैं या फिर ये तकनीक ही हमारा इस्तेमाल कर रहे हैं? इन्हें हम कंट्रोल कर रहे हैं या हम खुद इनके कंट्रोल में हैं? इसी चिंताजनक सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करती है, डायरेक्टर विक्रमादित्य मोटवानी की फिल्म CTRL यानी कंट्रोल। सोशल मीडिया या पब्लिक ऐप किस तरह लोगों के प्राइवेट डेटा इकट्ठा करते हैं, उनका गलत इस्तेमाल करते हैं, फिल्म हमें यह बात याद दिलाती है और उसके प्रति सचेत करती है।